सूर्य की महादशा में नव ग्रहों की अंतर्दशा का फल

 सूर्य की महादशा में नवग्रहों की अंतर्दशा फल -;

सूर्य की महादशा में नवग्रहों की अंतर्दशा का फल कैसा होता है? आज इसी को लेकर चर्चा करने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं क्रम से सूर्य की महादशा में सभी नवग्रहों की अंतर्दशा फल कैसा रहता है?

सूर्य की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा -

सूर्य की सूर्य की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा आने पर जातक को राजा से सम्मान प्राप्त होता है मान सम्मान इसकी प्राप्ति होती है। धन आगमन होता है। वह प्रमोशंस जैसे अवसर मिलते हैं किंतु यदि सूर्य आपके पत्रिका में मारक होते हैं तो सूर्य से संबंधित नकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। उसका हदय घात पेट ज्वर हड्डियां संबंधी बीमारियां आपको परेशान कर सकती है। और जो फल सूर्य की योग कारक होने पर मिलते हैं इसके विपरीत सभी नकारात्मक प्रणाम आपको मिलेगा ‌।

सूर्य की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा -;

सूर्य की महादशा में चंद्रमा की अंतर्दशा आने पर जातक को अच्छे फल मिलते हैं मान-सम्मान यश वर्धन आगमन होता है। किंतु सूर्य और चंद्रमा दोनों का पत्रिका में योगकारक होना जरूरी है। यदि सूर्य योगकारक और चंद्रमा मारक हुए तो जातक को चंद्रमा से संबंधित नकारात्मक परिणाम मिलेंगे। चंद्रमा जिस भाव का स्वामी व जिस भाव पर दृष्टि डालता है। उसके नकारात्मक परिणाम  उस समय मिलेंगे।

सूर्य की महादशा में मंगल की अंतर्दशा -:

दशा में सूर्य की महादशा में मंगल की अंतर्दशा आने पर जातक को शत्रुओं से भय रुग्णता राजा से अपमान पद प्रतिष्ठा से च्युत जैसी स्थिति उत्पन्न होती है। किंतु यदि मंगल व सूर्य दोनों पत्रिका में योगकारक होते हैं तो इनसे संबंधित अच्छे परिणाम होंगे शत्रुओं का संघार होगा रोग से मुक्ति मिलेगी कर्ज से मुक्ति मिलेगी भवन वाहन प्रॉपर्टी की प्राप्ति होती है।

सूर्य की महादशा में बुध की अंतर्दशा -:

सूर्य की महादशा में बुध की अंतर्दशा होने पर यदि सूर्य और बुध दोनों ही पत्रिका में योगकारक होते हैं तो जातक को मान सम्मान की प्राप्ति होने के साथ-साथ जिन भाव के बुद्धदेव कारक होते हैं और जिस भाव पर दृष्टि डालते हैं तथा जिन भावों के कारकत्व के स्वामी होते हैं उनसे संबंधित सारे अच्छे परिणाम जातक को अपने लाइफ में मिलते हैं। और यदि नकारात्मक होते हैं तो जातक को इनसे संबंधित सारे नकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। चरम रोग वाणी में विकार कमर से संबंधित बीमारियां जातक को प्रदान करते हैं।

सूर्य की महादशा में बृहस्पति की अंतर्दशा -:

सूर्य की महादशा में बृहस्पति की अंतर्दशा आने पर जातक की शादी के योग बनते हैं। धार्मिक कार्यक्रम व धार्मिक प्रवृत्ति का विस्तार होता है। जातक को मान सम्मान यश व राजा से सम्मान प्राप्त होता है। कैरियर के अच्छे अवसर बनते हैं किंतु इसके लिए बृहस्पति का योगकारक होना जरूरी है। यदि बृहस्पति पत्रिका में मारक होते हैं तो फिर यह सारे नेगेटिव प्रणाम जातक को प्राप्त होते हैं।

सूर्य की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा -;

सूर्य की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा आने पर जातक को आधुनिक सुखों में कमी शादी विवाह में रुकावट पढ़ाई में रुकावट जैसी स्थितियां बनती है। क्योंकि सूर्य और शुक्र दोनों नैसर्गिक शत्रु ग्रह होते हैं।


सूर्य की महादशा में शनि की अंतर्दशा -:

सूर्य की महादशा में शनि की अंतर्दशा आने पर जातक को शारीरिक मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शत्रुओं का भय रोगों की चिंता सताती है। बनते  कार्य रूक जाते हैं।यदि शनि  ममारक होते हैं तो फिर बहुत नेगेटिव टाइम जातक के लिए बन जाता है। पिता से शत्रुता जैसी स्थिति बन जाती है।


सूर्य की महादशा में राहु की अंतर्दशा -:

सूर्य की महादशा में राहु की अंतर्दशा आने पर जातक पथभ्रष्ट हो जाता है। किसी गलत संगत में हो करके अपना बहुत बड़ा नुकसान करता है। ऐसा व्यक्ति चरित्र भ्रष्ट हो जाता है। घर में कलह अशांति व नकारात्मक कार्य ज्यादा होते हैं। सभी प्रकार के बनते कार्यों में रुकावट सी होने लगती है। जातक का कॉन्फिडेंस काफी नेगेटिव हो जाता है।



सूर्य की महादशा में केतु की अंतर्दशा 

सूर्य की महादशा में केतु की अंतर्दशा आने पर ग्रहण दोष की दशा कहलाती है। और राहु की महादशा के बराबर ही नेगेटिव परिणाम केतु की अंतर्दशा में जातक को प्राप्त होते हैं।


एस्ट्रो आचार्य केके शास्त्री 
वैदिक ज्योतिष संस्थान चौथ का बरवाड़ा
 सवाई माधोपुर राजस्थान 9414 6572 45


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