विवाह संपन्न करवाने में प्रयत्नों की सफलता -:
हिंदू समाज में माता-पिता अपनी संतानों के वैवाहिक संबंधों में बांधने के लिए चिंतित रहते हैं। इससे भी ज्यादा परंपरागत हिंदू परिवारों में पुत्री के विवाह के लिए माता-पिता के मन में अधिक उत्सुकता होती है। इस लिए आजकल बहुत सारे प्रश्न आते हैं
जो जानना चाहते हैं कि वह जो रिश्ता देख रहे हैं उन्हें उस में सक्सेस मिलेगा या नहीं, अर्थात जब हम बहुत सारे रिश्ते देखते हैं लेकिन हमें सक्सेस नहीं मिलता है कई बार तो ऐसा होता है कि दो-तीन साल लग जाते हैं रिश्ता देखते-देखते लेकिन कोई भी रिश्ता हमारे संतान के लिए नहीं बन पाता है।
अतः आज हम इसी विषय को लेकर के चर्चा करने जा रहे हैं। जिसमें हम जानेंगे कि जब हम या कोई भी पेरेंट्स अपनी संतान के लिए रिश्ता ढूंढ रहे होते हैं तो उसमें उनको कब तक सफलता प्राप्त होती है। इसका विचार कैसे कर सकते हैं।
तो चर्चा को आगे बढ़ाते हैं --+
१, यदि लग्नेश तथा सप्तमेश एक साथ स्थित हो या अनुकूल ताजिक योग बना रहे हो तो गठबंधन में सफलता मिलती है। यह विचार तत्कालीन गोचर से देखना होता है। या तत्कालीन प्रश्न कुंडली से भी विचार कर सकते हैं।
२, इसी प्रकार लग्नेश सप्तम भाव में अथवा सप्तमेश लग्न में हो तो अच्छा योग बना होता है।
३, इसी तरह शुक्र की भी प्रमुख भूमिका होती है यदि शुक्र प्रश्न कुंडली में अथवा गोचर कुंडली में लग्नेश सप्तमेश से संबंध बनाकर लग्न अथवा सप्तम भाव में हो तो अच्छा रिश्ता बनने का योग बनता है।
रिस्ते के लिएबातचीत किससे करनी चाहिए ?
कई बार ऐसा भी ज्योतिष से पूछा जाता है कि विवाह के लिए बातचीत किससे करनी चाहिए । इसके लिए हमें देखना होता है माता के लिए चतुर्थ हाउस पिता के लिए नवम हाउस बड़े भाई के लिए एकादश छोटे भाई के लिए तीसरा हाउस अब इन चारों में से जिस हाउस का भी संबंध दूसरे हाउस के साथ बन रहा हो क्योंकि दूसरा हाउस वाणी का कारक होता है। बातचीत का कारक होता है। जैसे मान लीजिए नवम भाव के स्वामी का संबंध दूसरे भाव के स्वामी के साथ बन रहा हो तो इसका मतलब है कि हमें पिता से बात करना चाहिए। इस कंडीशन में यदि हम किसी दूसरे सदस्य के साथ बातचीत करता है तो उधर से नकारात्मक परिणाम हमें प्राप्त हो सकते हैं।
एस्ट्रोलॉजर आचार्य केके शास्त्री
वैदिक ज्योतिष शोध संस्थान
चौथ का बरवाड़ा सवाई माधोपुर राजस्थान
9414 6572 45
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