ग्रह जनित रोग विचार

 ग्रह जनित रोग विचार करना -:

आज हम जानेंगे कि ग्रह के द्वारा हम किस प्रकार रोग का विचार कर सकते हैं। किस ग्रह से किस प्रकार का रोग हमें मिलता है। आज के इस लेख में हम नौ ग्रहों द्वारा होने वाले रोग का विस्तार से चर्चा करते हैं। 

१, सूर्य - सूर्य से पित्त क्रोध नेत्र विकार हड्डियों से संबंधित रोग पेट से संबंधित बीमारियां हंड़िया से संबंधित बीमारियां ताप जवर आदि का प्रमुखता से विचार किया जाता है।


२ चन्द्र -:  चंद्रमा से रक्त विकार रक्तचप रक्त अल्पता उन्माद मानसिक प्रकोप मेंटली प्रेशर शीत ज्वर जुकाम कफ स्वास और फेफड़ों से संबंधित रोगों की संभावना होती है।

३, मंगल -: पित्त प्रकोप जलन गिरना गुप्त विकार शीर्षोल मुख रोग उदर विकार फोड़े फुंसी बवासीर खुजली टाइफाइड मोतीझरा रक्त से संबंधित बीमारियां चेस्ट प्रॉब्लम गुदा से संबंधित रोग मंगल द्वारा मारक होने की स्थिति में होते हैं।


४, बुध -: वात  कफ चर्म कर्ण आदि विकार गले से संबंधित नासिक से संबंधित घाव का नहीं भरना बौद्धिक संतुलन पीलिया खुजली गुप्त रोग उदार रोग मधु में चेचक  वाणी विकार दादा आदि रोग बुद्ध के मार्क होने पर होते हैं।


५, गुरु -: गठिया कमर वायु  विकार सूजन दुर्बलता पैर विकार कफ लीवर कमर कर्ण विकार चर्बी मांस आदि से संबंधित रोग बसपति के द्वारा मारक होने की स्थिति में एक्टिव होते हैं।


६, शुक्र -: शुक्र से वीर्य मूत्र रोग गुप्त रोग दुर्बलता मधुमेह कामवासना संबंधित रोग शीघ्रपतन स्वपनदोष धातु क्षय वायु विकार  कान चेहरे से संबंधित रोग प्रमुखता से होते हैं।


७, शनि -: घुटने जॉइंट चोट मोच रक्त की कमी वायु विकार अंग वक्रता गंजापन उन्माद लंबी-लंबी कैंसर जैसी जटिल बीमारियां सनी के द्वारा एक्टिव होती है।


८, राहु -: पांव घुटनों रक्त की कमी त्व चा मानस रोग संक्रामक बीमारी पशु विष आदि से पीड़ा वाहन पीड़ा हाथ पैर में सूजन हृदय विकार आदि राहु के द्वारा एक्टिव होते हैं।


९, केतु -: कामवासना व्यवहार में विकार पाचन कमजोरी गर्भपात पतरी गुप्त रोग असाध्य रोग खांसी सर्दी जुकाम तथा वात पित्त जनित रोग केतु के द्वारा होते हैं।


एस्ट्रोलॉजर आचार्य केके शास्त्री
9414657275


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