गुरु द्वारा बनने वाले प्रमुख राजयोग -:
बृहस्पति को गुरु का दर्जा दिया गया है। बृहस्पति सभी ग्रहों में सबसे ज्यादा शुभ और शक्तिशाली ग्रह माना जाता है। बृहस्पति का एक राज योग भी व्यक्ति को अपने जीवन में सफलता का मुकाम पर पहुंचा सकता है। बृहस्पति अनुकूल होने पर जितना शुभ होता है उतना ही प्रतिकूल होने पर भयंकर परिणाम भी प्रदान करता है। पांच तत्वों में आकाश तत्वों का अधिपति होने कारण इसका प्रभाव बहुत ही व्यापक और विराट होता है तो आज हम जानते हैं कितने तरह के राज्यों का निर्माण जन्म कुंडली में बृहस्पति बनाते हैं।
१, गुरु जन्म कुंडली के केंद्र भाव में बहुत ही मजबूत और अच्छा फल देने वाला माना जाता है। यदि केन्दो में से भी लग्न में विद्यमान हो तो बहुत अधिक शक्तिशाली हो जाता है। यह अकेला जन्म कुंडली के तमाम दोषो को नष्ट करने की क्षमता रखता है। व्यक्ति को लंबी आयु प्रदान करने के साथ-साथ ज्ञानवान यशवंत कीर्तिमान बनाते हैं किंतु मकर राशि में बृहस्पति नीचे का हो जाने के कारण प्रतिकूल फल देता है।
२, यदि बृहस्पति और चंद्रमा एक दूसरे से केंद्र में हो तो गज केसरी नाम का बहुत ही प्रबल राज्यों का निर्माण करते हैं। और विशेष करके यह योग कर्क वृश्चिक और मेंष लग्न में विशेष प्रभावशाली होता है। इस योग वाला व्यक्ति शासन राजनीति में विशेष सफलता प्राप्त करता है। ऐसे लोग जीवन में जिस सेक्टर में जाते हैं। सफलता अर्जित करते हैं। गजकेसरी में जन्म लेने वाले जातक शिवजी की उपासना करनी चाहिए। साथ ही संभव हो तो पुखराज धारण कर लेते हैं तो बहुत ही स्ट्रांग फल प्राप्त कर सकते हैं।
३, बृहस्पति से बनने वाला एक पंच महापुरुष योग होता है यदि बृहस्पति कर्क धनु और मीन राशि में हो करके केंद्र में विद्यमान हो तो हंस नाम का पंचम महापुरुष योग का निर्माण करते हैं। और जिन की जन्म कुंडली में हंस नाम का यह पंच महापुरुष योग का निर्माण होता है ऐसा जातक महान ऐश्वर्यावन कीर्ति वान होता है। और जीवन में बहुत ही अच्छी सफलता प्राप्त करने वाला बनता है।
आचार्य के के के शास्त्री
9414657245
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