जन्मपत्रिका में बनने वाले कुछ प्रमुख योग

 जन्मपत्रिका में बनने वाले कुछ प्रमुख योग पार्ट 1 -:

वैसे तो जन्मपत्रिका में असंख्य  योग का निर्माण होता है फिर भी आज हम ऐसे विशिष्ट योगो की चर्चा करते हैं। जिनका निर्माण पत्रिका में होता है तो जातक के जीवन में बहुत बड़े-बड़े बदलाव होते हैं तो  आज इसी क्रम में ऐसे कौन से योग हैं? उनके बारे में चर्चा करते हैं।


१, शकट योग -:

जन्मपत्रिका में इस योग का निर्माण चंद्रमा और गुरु के द्वारा होता है। जन्मपत्रिका में चंद्रमा से यदि बृहस्पति छठे हाउस में हो तो इस योग का निर्माण होता है। किंतु यहां पर एक कंडीशन अप्लाई होगी। यदि चंद्रमा केंद्र में हो और वहां से गिनने  पर बृहस्पति छठे भाव में हो तो उस कंडीशन में यह योग समाप्त हो जाता है। जी बालक का जन्म संकट योग में होता है तो ऐसा व्यक्ति जीवन में कभी-कभी बहुत ही कष्टों  का सामना करना पड़ता है।जीवन में कोई एक ऐसा कांटा छुपा होता है जो जीवन भर नहीं निकल पाता है कष्ट रूपी कांटा। इस प्रकार सकट योग में जन्म लेने वाले जातक का भाग्य कभी-कभी बहुत बुलंदियों पर होता है तो कभी-कभी ऐसी स्थिति आ जाती है की जमीन पर भाग्य आ जाता है।



२,अमला योग -:

जन्म कुंडली में जब चंद्रमा से दशम भाव में शुभ ग्रह विद्यमान होते हैं तो अमला नाम का योग निर्मित होता है। और इस योग में जन्मा जातक करियर के अकॉर्डिंग अच्छी सफलता प्राप्त करता है।

३, पुष्कल योग -:

जन्म कुंडली में यदि लग्न का स्वामी और चंद्रमा केंद्र में विद्यमान हो मित्र राशि में तो यह पुष्कल नाम का शुभ योग निर्मित होता है। इस योग के निर्माता होने से जातक जीवन में मान सम्मान यश कीर्ति और प्रसन्नता को प्राप्त करता है।


४, शुभ माला योग -:

जन्म कुंडली में यदि सभी ग्रह पंक्तिबद्ध होकर के पंचम सिस्टम और सप्तम भाव में बैठे हो तो शुभ माला योग का निर्माण होता है और ऐसा जातक जीवन में अपने अधीन लोगों को रखकर के उन पर शासन करने वाला होता है।


५, अशुभ माला योग -:

इसी प्रकार से यदि सभी ग्रह 6 8 और 12  भाव में विद्यमान हो तो अशुभ माला योग का निर्माण होता है। ऐसा व्यक्ति दिन हीन और कष्टों से युक्त जीवन जीने वाला होता है।


७, लक्ष्मी योग -:


जन्मपत्रिका में यदि नवम भाव का स्वामी और शुक्र अपनी उच्च राशि में या अपनी स्वराशि में लग्न से केन्द्र त्रिकोण में बैठे हो तो लक्ष्मी नाम का एक बहुत ही विशिष्ट योग का निर्माण होता है और ऐसा जातक जीवन में महान पैसों वाला और धन संपदा को प्राप्त करने वाला होता है।


८, गोरी योग -:

इसी प्रकार से यदि जन्मपत्रिका में चंद्रमा स्व राशि या उच्च राशि के होकर के केंद्र त्रिकोण में विद्यमान हो और बृहस्पति की शुभ दृष्टि उस पर हो तो गोरी नाम का योग निर्मित होता है। ऐसा जातक मान सम्मान यश कीर्ति लक्ष्मी सब की प्राप्ति करने वाला होता है ।


९, सरस्वती योग -:

जन्मपत्रिका में यदि बुध शुक्र बृहस्पति केंद्र त्रिकोण में विद्यमान हो और उस पर भी बृहस्पति मित्र उच्च और स्वराशि में हो तो सरस्वती योग का निर्माण होता है। और ऐसा जातक बहुत बड़ा लेखक कवि वक्ता विद्वान प्रवक्ता होता है।




आज की चर्चा में बस इतना ही आगे के अंक में और विशिष्ट योगी की जानकारी प्राप्त करेंगे।

जयश्री राम


आचार्य के के शास्त्री
9414657245



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