लक्ष्मी नारायणन योग

 लक्ष्मी नारायण योग कैसे देता है हमें धन वैभव संपदा,?


नमस्कार मित्रों।

 आज हम एक कैसे विशिष्ट योग की चर्चा कर रहे हैं। जिन जातकों की जन्म कुंडली में उसका निर्माण होता है तो ऐसा जातक अपनी जीवन में पूर्ण धनवान होता है। साथ ही अपने जीवन में धन संपदा की कोई कमी नहीं रहती है तो आज इसी योग के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं। इस योग का नाम है लक्ष्मीनारायण योग -


ज्योतिष शास्त्र में बहुत सारे योग होते हैं जैसे हैं गजकेसरी योग सनफा योग शासक योग पचमहापुरुष  योग इस क्रम में एक महत्वपूर्ण योग होता है लक्ष्मी नारायण योग आईए जानते हैं लक्ष्मी नारायण योग कैसे बनता है,? कब बनता है और इसके क्या फल होते हैं?

लक्ष्मी नारायण योग कैसे बनता है?



कुंडली के किसी भाव या राशि में जब बुध ग्रह और शुक्र ग्रह एक साथ विराजमान होते हैं। मतलब जब पत्रिका में शुक्र और बुध की युति होती है।
 तब लक्ष्मण नारायण योग का निर्माण होता है और इन दोनों ग्रहों की युति पर बृहस्पति की दृष्टि हो तो इस योग में और अच्छी ताकत बन जाती है।
 जिससे लक्ष्मी नारायण योग बहुत ही प्रभावशाली हो जाता है।


लक्ष्मी नारायण योग यदि केंद्र और त्रिकोण में होता है तो यह ज्यादा प्रभावशाली होता है।

कुछ प्रमुख शर्ते जिसका ज्ञान हमें रखना होता है -


लक्ष्मी नारायण योग जिस पत्रिका में होता है तो उनमें मुख्य रूप से कुछ ध्यान देना पड़ता है जैसे दोनों ग्रह या कोई एक भी ग्रस्त नहीं होना चाहिए। दोनों में से एक भी ग्रह नीच अवस्था में नहीं होना चाहिए अगर नीचे अवस्था में हो तभी भी उसका नीच भंग होना आवश्यक होता है। दोनों ही कुंडली में योग कारक होनी चाहिए तभी फलदायक होता है। यदि ये ग्रह स्वग्रही मित्र गग्रही  तो कुंडली के त्रिक भाव में भी राजयोग बना देते हैं।


बुद्ध को व्यापार और शुक्र को विलासिता का कारक माना जाता है। जब भी योग बनता तो जातक को अचानक से धन प्राप्त होता है। उसके जीवन में किसी प्रकार की धन की कमी नहीं होती है। इस योग प्रभाव से उसकी बुद्धि और प्रतिभा बहुत ही विकसित होती है और ऐसा जातक जीवन में ज्यादा संघर्ष नहीं करता है।



एस्ट्रो आचार्य के के शास्त्री
9414657245




Post a Comment

0 Comments