श्रीकंठ वीरंची योग

पत्रिका में बनने वाले प्रमुख श्रीकंठ वीरंची योग पार्ट 2 -:

१, श्री कंठ योग -:

जन्मपत्रिका में लग्नेश सूर्य  चंद्रमा यदि केंद्र त्रिकोण में अपनी स्वरासी उच्च राशि मूत्र त्रिकौन राशि या उच्च होकर के बैठे हो तो उसे कंडीशन में श्रीकंठ नाम का विशिष्ट राज योग का निर्माण होता है।

२, श्रीनाथ योग -:

जन्म कुंडली में जब बुध शुक्र और भाग्य भाव का स्वामी अपनी स्वरासी मित्र राशि और उच्च राशि के होकर केंद्र त्रिकोण में बैठे हो तो श्री नाथ योग का निर्माण होता है।


३, वीरंची योग -:

पंचम भाव का स्वामी गुरु और शनि स्वरासी मित्र  राशि उच्च राशि में होकर केंद्रीय त्रिकोण में होते हैं तो वीरांची नाम का सुयोग निर्माण होता है।


तीनों योगों का क्रमशः फल -:


१,
इनमें से जो श्रीकंठ योग बनता है ऐसा जातक भगवान शिव के समान संतोषी विरक्ति शिव भक्त और अपनी आत्म संतुष्टि में जीने वाला होता है। दूसरों का परोपकार करने वाला होता है। और ऐसे लोग एक अलग पहचान  लाइफ में बना पाते हैं।


२, श्रीनाथ योग में जन्म लेने वाला जातक लक्ष्मीवान होता है। दूसरों का परोपकार करने वाला भौतिक सुखों को प्राप्त करने वाला भगवान विष्णु का भगत होता है और जीवन में न्याय का पालन करते हुए आगे बढ़ता है।


३, इसी प्रकार वीरांची योग में जाता के ज्ञानी लेखक कवि विद्वान और नवीन रचनात्मक कार्य करने वाला होता है।



एस्ट्रो आचार्य के के शास्त्री
9414657245



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