बुध गुरु शुक्र शनि से रोग विचार

 बुध गुरु शुक्र शनि ग्रहो से रोग विचार --

आज की चर्चा में हम पूर्व चर्चा को आगे बढ़ते हुए बुध गुरु शुक्र शनि ग्रहों के पीड़ित होने से होने वाले रोग विचार पर जानकारी प्राप्त करेंगे। हम जानेंगे की बुध गुरु शुक्र शनि  किस प्रकार के रोगों के कारक होते हैं। सबसे पहले इस क्रम में हम बुध ग्रह द्वारा होने वाले रोगों की चर्चा करते हैं।

बुध -:

बुध  हमारे शरीर में ज्ञान शक्ति का कारक होता है। बुद्ध रोग का कारक जब बनता है 6 8 12 में उनका प्लेसमेंट हो उसे कंडीशन में सबसे पहले बुध हमारी स्मरण शक्ति को डैमेज करता है भ्रम की स्थिति पैदा करता है। या हम अवर थिंकिंग में गलत सोच करके पीड़ित होते रहते हैं। इसी प्रकार गले से संबंधित प्रॉब्लम मुख्य रूप से होते हैं क्योंकि बुद्ध गले को रिप्रेजेंट करते हैं तो गले पर होने वाले रोगों का मुख्य कारण बुद्धदेव का पीड़ित होना होता है। बुद्ध त्वचा के कारक भी होते हैं तो त्वचा से संबंधित प्रॉब्लम जातक होने लगती है दाद खाज खुजली साथ ही जातक को आंतों  से संबंध प्रॉब्लम भी बुद् के कारण होते हैं। इस प्रकार से बुद्ध पीड़ित होने पर व्यक्ति मेंटली जैसी हरकतें भी करने लग जाता है क्योंकि उसका बौद्धिक विकास पिडित होता है।



गुरु -:


गुरु के पीड़ित होने पर और उसका संबंध रोग भाव से होने पर जातक को मुख्य रूप से नर्वस सिस्टम से संबंधित प्रॉब्लम बने होते हैं।  स्मरण शक्ति काफी कमजोर हो जाती हैं। बृहस्पति के पीड़ित होने से व्यक्ति को मांस चर्बी से संबंधित प्रॉब्लम लिवर में प्रॉब्लम होता है। साथ ही साथ अपने पैरों के निचले भागों में भी प्रॉब्लम गुरु के पिडीत होने से होता है। इस प्रकार मुख्य रूप से गुरु द्वारा जातक को लीवर प्रॉब्लम नसों से संबंधित प्रॉब्लम मांस चर्बी से संबंधित प्रॉब्लम और पैरों के निचले भागों में प्रॉब्लम प्रेरित होता है।


शुक्र -:


शुक्र का संबंध 6 8 12 से बनने पर जातक को चेहरे से संबंधित प्रॉब्लम होता है। जातक को कान से संबंधित प्रॉब्लम नाक से संबंधित प्रॉब्लम होठों से संबंधित प्रॉब्लम कुल मिलाकर के चेहरे से संबंधित प्रॉब्लम बनने लगते हैं जैसे चेहरे पर फोड़ा फुंसी का होना होठों पर चोट का लगा। जब शुक्र पीड़ित होते हैं तो व्यक्ति का चेहरा भद्दा हो जाता है। इसके बाद शुक्र के पीड़ित होने से व्यक्ति को काम वास्ता से संबंधित प्रॉब्लम होती है। शुक्राणु की कमी जननांगों में प्रॉब्लम या हमारे जनन अंगों से संबंधित जो बीमारियां होती है। वो जातक को होने लगती है।



शनि -:


सनी के पीड़ित होने से व्यक्ति को थकान होने लगती हैं। जातक को नसों से संबंधित ज्वाइंटों से संबंधित प्रॉब्लम शरीर में होते हैं। विशेष करके पैरों से संबंधित प्रॉब्लम भी शनि के कारण होते हैं। तथा लंबी लंबी होने वाली बीमारियां जैसे कैंसर टीवी जो लॉन्ग टाइम के लिए लंबी चलती है इस प्रकार की बीमारियां शनि देते हैं। इसके अलावा व्यक्ति को नेगेटिव एनर्जी से संबंधित प्रॉब्लम भी हो जाते हैं।


राहु केतु -;

राहु केतु के द्वारा मुख्य रूप से जातक को वायु संबंधित प्रॉब्लम होता है ब्रह्म की स्थितियां बनी रहती है तथा कुछ निगेटिव अदृश्य  बीमारियां जातक को होती है। गैस से संबंधित प्रॉब्लम हृदय से संबंधित प्रॉब्लम कन्फ्यूजन जैसी थॉट बनी रहना यह सब राहु केतु के पिडीत होकर के रोग से संबंध बनाने पर होता है।


एस्ट्रो आचार्य के के शास्त्री
9414657245



Post a Comment

0 Comments