Promotion yog

 Promotion yog -:

ऊआज की चर्चा में हम हमारे जीवन में होने वाली पदोन्नति प्रमोशन जो के विषय में करने जा रहे होते हैं। जन्म कुंडली में ऐसे योग की चर्चा की जाती है। जिनके बनने पर व्यक्ति अपने जीवन में अनायास प्रमोशन पता है।


जन्म कुंडली में प्रमोशन योग देखने के लिए निम्न बातों का ध्यान में रखना जरूरी होता है।

१. ज्योतिष के अनुसार दूसरा छठा और दसवां भाव प्रमोशन जैसे जोग को दिखाने वाला होता है.।


२. अब इन भावों में से दूसरा भाव आपकी सेविंग आपका बैंक बैलेंस व आपकी पूंजी को दिखाता है।


३, छठा भाव आपकी ताकत काम करने की क्षमता आपकी प्रतियोगिता संघर्ष करियर में आने वाली रुकावटें को दिखाता है।

४, दसवां भाव हमारी मान प्रतिष्ठा सम्मान व कार्य सेक्टर को दिखाता है।

५, इस प्रकार छठा और दसवां भाव मिलकर आपके करियर और धन कमाने की क्षमता के बारे में बताता है। दूसरा भाव आपकी कमाई के बारे में बतायागा अगर यह मजबूत रहेगा तो आप अपने भविष्य के लिए पैसे जोड़ सकते हैं और अगर यह कमजोर होंगे तो इसका अर्थ है कि धन बढ़ाने बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ेगा.।

६. इस प्रकार जब हम एक अच्छी नौकरी की तलाश में है। अपनी नौकरी में प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं ।और समाज में अपनी प्रतिष्ठा कायम रखना चाहते हैं तो उसके लिए आपके ग्रहों पर छठे और 10वे भाव का प्रभाव पड़ना बहुत जरूरी होता है। तभी यह सिचुएशन बनती है।

प्रमोशन योग

१.दशम भाव में गुरु शुक्र या बुध उच्च राशि स्वर राशि में आए तो प्रमोशन योग का निर्माण होता है।

२. दशमेश का लगने से या त्रिकोणेश से संबंध हो तभी भी पदोन्नति योग बनता है।

३, दशमेश लग्न में प्रमोशन योग दिखता है अपनी दशा या अंतर्दशा में यह योग प्रबल होता है।

४. दूसरे भाव का स्वामी दशम भाव में उच्च या स्वराशि का हो तो प्रमोशन  योग का निर्माण बनता है।

५, लगने से अगर दशम भाव में होगा तो  योग बनता है. दशम भाव पर गुरु की दृष्टि से भी  योग बनता है।


प्रमोशन में रुकावटें

१.दशम भाव में शनि पाप ग्रह के साथ बैठा हो तो पदोन्नति में बाधा होती है।

 २.शनि अगर लग्न या चौथे भाव में मारक होकर बैठा हो तो बाधा उत्पन्न करता है।

३, शनि अष्टम भाव में पदोन्नति में बाधा देता है।


स्थान परिवर्तन योग 

दशम भाव एवं दशम भाव के स्वामी की स्थिति अच्छी हो तथा दशमेश की महादशा या अंतर्दशा जब भी होगी तो उसे समय जातक की पदोन्नति व स्थानांतरण का योग बनता है। जब गुरु का गोचर जन्म कुंडली के दशम भाव स्थित राशि पर हो तो इस समय स्थानांतरण को योग होता है। यदि सूर्य नीच होकर केंद्र में स्थित होगा या पाप ग्रहों से युक्त हो तो जातक को  स्थान परिवर्तन  मन चाहे स्थान पर नहीं मिलता है। ऐसे में जातक का प्रतिकूल स्थान पर हो जाता है वह अपने कार्य से  परेशान रहता है।


एस्ट्रोलॉजर अचार्य के के शास्त्री
9414657245



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