राष्ट्रपति योग -:
यदि किसी जातक की कुंडली में नवम स्थान में सूर्य तथा बृहस्पति एवं दशम भाव में मंगल और बुध ग्रह हो तो राष्ट्रपति योग का निर्माण होता है। राष्ट्रपति योग एक उच्च कोटि का योग माना जाता है। जिस जातक की जन्म कुंडली में यह योग होता है। वह राज्य के उच्च पद प्राप्त करता है। वह राज्य में उच्च प्राप्त करता है तथा जीवन में समस्त भोगों का सुखपूर्वक भोग करता है। पारिवारिक दृष्टि से यह जातक सुखी होता है। तथा धन की उसके जीवन में कमी नहीं रहती है। अपने कार्यों से यह पूर्ण ख्याति प्राप्त करता है।
क्योंकि केंद्र स्थान विष्णु के स्थान कहे जाते हैं और त्रिकोण स्थान लक्ष्मी के लक्ष्मी एवं विष्णु का सहयोग उच्च माना जाता है अर्थात त्रिकोण एवं केंद्र संबंध यदि किसी भी जातक की कुंडली में होता है तो वह जातक नि संदेह सौभाग्यशाली होता है। जन्म कुंडली में उनकी गणना लग्न से करनी चाहिए। यदि त्रिकोण का पति केंद्र भाव में तथा केंद्र का स्वामी त्रिकोण भाव में होता है तो यह केंद्र त्रिकोण संबंध स्थापित होता है। जो की उच्च कोटि का माना गया है।
केंद्र के चार भाव मुख्य हैं उनमें भी दशम भाव सर्वश्रेष्ठ एवं बाली माना गया है अर्थात लग्न से चार भाव बली 4 से भी सातवां भाव बली और सात से भी दसवां भाव अधिक होता है।
इस प्रकार पांचवें से नया भाव अधिक बड़ी माना गया है। अतः यदि केंद्र त्रिकोण संबंध अर्थात केंद्र त्रिकोण और अधिपति संबंध नम और दशम भाव में होता है तो उत्तम सहयोग होता है।
एस्ट्रोलॉजर अचार्य के के शास्त्री
9414657245
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