विष कन्या योग -:
विषकन्या योग एक विशेष प्रकार का योग है जिसे पारंपरिक वैदिक ज्योतिष में अशुभ या हानिकर योगों में गिना जाता है। यह योग स्त्री की कुण्डली में होता है और माना जाता है कि ऐसी कन्या (या स्त्री) के संपर्क में आने वाले पुरुषों को शारीरिक, मानसिक या सामाजिक कष्ट हो सकता है — जैसे विष से किसी को पीड़ा पहुँचती है।, वैसे ही इस योग वाली स्त्री के साथ संबंध से हानि मानी जाती है।
विषकन्या योग कैसे बनता है-:
बृहत् पराशर होरा शास्त्र और अन्य ग्रंथों में विषकन्या योग के निर्माण के लिए विभिन्न नियम बताए गए हैं। सामान्यतः यह योग निम्नलिखित स्थितियों में बनता है-:
- लग्न या सप्तम भाव में क्रूर ग्रहों (जैसे शनि, राहु, केतु, मंगल) की स्थिति या दृष्टि हो और चन्द्रमा निर्बल या पापग्रहों से ग्रस्त हो
- चन्द्रमा व शुक्र यदि पापग्रहों के साथ हो अथवा राहु/केतु से युत या दृष्ट हो।
- जन्म नक्षत्र और तिथि के आधार पर भी कुछ विशेष संयोजन माने गए हैं, जिनमें कन्या को विषकन्या कहा गया है (विशेषकर यदि जन्म अष्टमी, चतुर्दशी, या अमावस्या तिथि को हो और चन्द्रमा पापग्रहों से पीड़ित हो)।
- नवांश कुण्डली में भी लग्न, सप्तम, और चन्द्र का पाप प्रभाव में होना।
परिणाम:
यदि किसी स्त्री की कुण्डली में विषकन्या योग बनता है तो—
- उसके पति को शारीरिक कष्ट या दीर्घकालिक रोग हो सकता है।
- वैवाहिक जीवन में तनाव, कलह या वियोग हो सकता है।
- कभी-कभी पति की असामयिक मृत्यु की संभावनाएँ भी ग्रंथों में मानी जाती हैं, विशेषकर यदि सप्तम भाव व सप्तमेश भी पीड़ित हो।
उपाय:
यदि किसी कन्या की कुण्डली में विषकन्या योग हो तो वैवाहिक जीवन की रक्षा के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं—
- विशेष पूजा या शांति विधान, जैसे नवग्रह शांति, चण्डी पाठ, या रुद्राभिषेक।
- ग्रह दोष निवारण के लिए रत्नों का प्रयोग, जैसे मोती (चन्द्रमा के लिए), यदि वह पीड़ित हो।
- दत्तात्रेय अथवा महामृत्युंजय जाप पति की रक्षा के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।
- कुण्डली मिलान करते समय विषकन्या योग का ध्यान रखना चाहिए।
यदि आप चाहें तो आप कोई विशेष कुण्डली भेज सकते हैं — मैं देख कर बताऊँगा कि विषकन्या योग है या नहीं।
एस्ट्रो आचार्य के के शास्त्री
9414657245
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