Ketu ka 11th house mein Singh Rashi mein faladesh

 

11वें भाव में सिंह राशि मे केतु का फलादेश-:



11वाँ भाव (Labha Bhava) जन्मकुंडली में लाभ, आय, मित्र, बड़े भाई-बहन, इच्छाओं की पूर्ति और उपलब्धियों से संबंधित होता है।
सिंह राशि (Leo) सूर्य की राशि है — यहाँ अहं, नेतृत्व, आत्माभिमान, रचनात्मकता, और प्रसिद्धि के तत्व प्रमुख होते हैं।
केतु ग्रह संन्यास, वैराग्य, आध्यात्मिकता, भौतिक जगत से उदासीनता, और गूढ़ ज्ञान का कारक है।

जब केतु सिंह राशि में ११वें भाव में स्थित हो, तो उसका फल कुछ इस प्रकार होता है —

सामान्य फल

  • जातक में आत्मगौरव और मान-सम्मान की भावना तो रहती है, परंतु केतु यहाँ अहंकार को तोड़ने का कार्य करता है।
  • लाभ के भाव में होने से आर्थिक लाभ में अनियमितता देखी जाती है — कभी अचानक धनलाभ, तो कभी अचानक हानि।
  • मित्रता और सामाजिक संबंधों में दूरी या गलतफहमी की स्थिति हो सकती है। मित्र कम लेकिन विशिष्ट होते हैं।
  • जातक भौतिक उपलब्धियों से जल्दी ऊब सकता है और आध्यात्मिक या रहस्यमय विषयों में रुचि लेता है।
  • नेतृत्व क्षमता तो होती है, परंतु उसे सही दिशा में प्रयोग करने में कठिनाई होती है।

मानसिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से

  • यह स्थिति अहंकार के विघटन की ओर ले जाती है — व्यक्ति को सिखाती है कि प्रसिद्धि या मान्यता ही जीवन का अंतिम लक्ष्य नहीं है।
  • जातक में रहस्यमय ज्ञान, ज्योतिष, तंत्र, ध्यान, या साधना में गहरी रुचि हो सकती है।
  • यदि सूर्य (केतु का स्वामी) शुभ स्थिति में है, तो जातक आध्यात्मिक नेता या गूढ़ ज्ञान के शिक्षक के रूप में प्रसिद्ध हो सकता है।

आर्थिक और सामाजिक पक्ष

  • लाभ अनिश्चित रहता है — अचानक लाभ संभव है, पर स्थिरता का अभाव रहता है।
  • मित्रों से धोखा या दूरी संभव है।
  • यदि राहु ५वें भाव में कुम्भ राशि में हो (जो सामान्यतः इस स्थिति में होता है), तो जातक की बुद्धि वैज्ञानिक, तार्किक और भविष्यदर्शी होती है, पर अहंकार और आत्मकेन्द्रितता के कारण संबंधों में कठिनाई होती है।

उपाय 

सूर्य की शांति और बल के लिए रविवार को आदित्य हृदय स्तोत्र या गायत्री मंत्र का जप करें।


केतु के दुष्प्रभाव को कम करने हेतु:

केतु मंत्र: “ॐ कें केतवे नमः” का 108 बार जप करें।

    • कुत्ते या निर्बल पशुओं को भोजन कराएँ।
    • ग़रीबों को ग्रे या सफ़ेद कंबल या तिल दान करें।आध्यात्मिक साधना और ध्यान के माध्यम से केतु की ऊर्जा को संतुलित करें।

संक्षेप में फल

11वें भाव में सिंह राशि का केतु व्यक्ति को अहंकार के बंधन से मुक्त कर, आध्यात्मिक लाभ की दिशा में प्रेरित करता है।
भौतिक लाभ अस्थिर, परंतु आंतरिक उन्नति और गूढ़ ज्ञान की प्राप्ति का योग देता है।

 

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