पैतृक संपत्ति से संबंधित विवाद को समाप्त करने का ज्योतिषीय उपाय -:
पैतृक संपत्ति में अपना वाजिब भाग प्राप्त करना केवल कानूनी या पारिवारिक विषय नहीं है — वैदिक ज्योतिष की दृष्टि से यह पितृ दोष, ग्रह योग, और कर्मफल से भी जुड़ा हुआ विषय है।
इसलिए इसके उपाय भी ग्रहों और पितृशांति से संबंधित होते हैं।
नीचे कुछ प्रभावशाली वैदिक ज्योतिषीय उपाय दिए जा रहे हैं ।
1. पितृ दोष निवारण
यदि जन्मकुंडली में 9वां भाव (पितृभाव) अथवा सूर्य, गुरु, या राहु-केतु प्रभावित हों, तो पैतृक संपत्ति में अड़चनें आती हैं।
उपाय:
- अमावस्या या पितृ पक्ष में पितृ तर्पण करें।
- गया, त्र्यंबकेश्वर (नासिक), या हरिद्वार में पिंडदान कराना अत्यंत शुभ रहता है।
- हर शनिवार को पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएँ और सूर्य को अर्घ्य दें।
2. सूर्य और नौवें भाव का बल बढ़ाना
पैतृक संपत्ति के कारक ग्रह सूर्य हैं, क्योंकि वे पितृ का प्रतिनिधित्व करते हैं।
उपाय:
- प्रतिदिन सुबह तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल फूल और चुटकी भर लाल चंदन डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
- आदित्य हृदय स्तोत्र या गायत्री मंत्र का नित्य पाठ करें।
- रविवार के दिन गरीब ब्राह्मण को लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़ या तांबे का दान दें।
3. राहु और केतु के दोष दूर करें
राहु-केतु के कारण विवाद, मुकदमेबाज़ी या संपत्ति के बंटवारे में विलंब होता है।
उपाय:
- राहु-केतु शांति पूजा या कालसर्प दोष निवारण पूजा कराएँ।
- मंगलवार या शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- राहु के लिए गोमेद (Hessonite) और केतु के लिए लहसुनिया (Cat’s Eye) का रत्न धारण कुशल ज्योतिष परामर्श से ही करें।
4. भूमि और संपत्ति के कारक ग्रह मंगल को बल दें
मंगल भूमि, भवन, और संपत्ति के कारक हैं। यदि मंगल नीच, अशुभ या पापग्रहों से ग्रस्त हैं तो संपत्ति विवाद होते हैं।
उपाय:
- मंगलवार के दिन हनुमानजी या भगवान कार्तिकेय की उपासना करें।
- लाल चंदन, मसूर की दाल, या तांबा दान करें।
- “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।
5. श्री सूक्त / लक्ष्मी उपासना
कभी-कभी पैतृक संपत्ति में भाग नहीं मिलने का कारण धन-लाभ योग की कमी भी होती है।
उपाय:
- शुक्रवार के दिन श्री सूक्त या लक्ष्मी अष्टक स्तोत्र का पाठ करें।
- कुबेर यंत्र की स्थापना करें और नियमित पूजन करें।
- कन्याओं को मिठाई, वस्त्र और श्रृंगार सामग्री का दान करें।
6. कर्म शुद्धि एवं दान
कुंडली में यदि षष्ठ भाव (विवाद) या अष्टम भाव (विरासत) में पाप ग्रह हैं तो विवाद बढ़ते हैं।
उपाय:
- प्रत्येक अमावस्या को गरीबों को अन्न, वस्त्र, और दक्षिणा का दान करें।
- किसी गौशाला में नियमित सेवा या दान करें।
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एस्ट्रो आचार्य के के शास्त्री
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